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Friday, May 30, 2025

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बृहस्पति का मिथुन राशि में गोचर, कैसा रहेगा राशिफल?

बृहस्पति (गुरु) गोचर (Jupiter transit in Gemini 2025) 14 मई 2025 बुधवार को बृहस्पति (गुरु) ग्रह वृषभ राशि से निकलकर मिधुन राशि में प्रवेश करेंगे तब वे 3 गुना अतिचारी होकर 18 मार्च 2033 तक यानी 8 वर्षों तक मिथुन सहित अन्य राशियों में अतिचारी रहेंगे। अतिचारी चाल का अर्थ है कि गुरु एक सामान्य गति से अधिक तेजी से भ्रमण करेंगे।

कुछ पंचांग के अनुसार 15 मई की रात 02 बजकर 30 मिनट पर बृहस्पति मिथुन राशि में गुरु गोचर करेंगे। जबकि, कुछ पंचाग के अनुसार 14 मई की रात्रि में 11 बजकर 20 मिनट पर, मिथुन राशि में बृहस्पति 18 अक्टूबर 2025 तक रहेंगे और इसके बाद तेज गति से कर्क राशि में चले जाएंगे। 11 नवंबर 2025 को गुरु ग्रह वक्री हो जाएंगे और 5 दिसंबर 2025 को पुनः मिथुन राशि में वापस लौट आएंगे। इसके बाद, गुरु 2 जून 2026 तक मिथुन राशि में रहने वाले हैं। इस तरह मार्गी और वक्री का उनका गोचर चलता रहेगा। कर्क में बृहस्पति नीच के हो जाते हैं।

राशि के अनुसार गुरु के गोचर से क्या क्या शुभ होने वाला है जानें यहाँ,

  • मेष राशिः बृहस्पति आपकी कुंडली के भाग्य स्थान यानी नवम भाव और व्यय स्थान यानी द्वादश भाव के स्वामी हैं अब वे आपकी राशि से तीसरे यानी पराक्रम भाव में गोचर करेंगे। आपके लिए गुरु का यह परिवर्तन बेहद शुभ फल देने वाला साबित हो सकता है। व्यापार में नए अवसर प्राप्त होंगे। करियर में उन्नति होगी। नौकरी में अप्रत्याशित सकारात्मक परिवर्तन देखने को मिलेगा। कोर्ट-कचहरी के मामले सुलझ जाएंगे। जीवनसाथी से संबंधों में सुधार होगा और मधुरता बढ़ेगी।
  • वृषभ राशि: आपकी कुंडली के अष्टम भाव और एकादश भाव के स्वामी बृहस्पति का दूसरे भाव में गोचर होगा। यह धन, परिवार और वाणी को प्रभावित करेगा। वाणी में सुधार होगा। लोगों के बीच आपकी लोकप्रियता बढ़ेगी। पारिवारिक जीवन से आप संतुष्ट रहेंगे। पैतृक व्यवसाय में उन्नति होगी। नौकरीपेशा हैं तो पदोन्नति के साथ ही वेतनवृद्धि के योग भी बनेंगे। विरोधी शांत रहेंगे। यात्राओं के योग बनेंगे।
  • मिथुन राशि: आपकी कुंडली के सप्तम और दशम भाव के स्वामी बृहस्पति का आपकी कुंडली प्रथम भाव में गोचर होगा। इसके परिणाम स्वरूप आपके स्वभाव में सकारात्मक बदलावा होगा। यहा विराजमान बृहस्पति की दृष्टि आपके पंचम भाव, सप्तम भाव और नवम भाव पर होगी जिससे संतान, शिक्षा, प्रेम विवाह, विवाह, दांपत्य जीवन और भाग्य पर सकारात्मक प्रभाव रहेगा। अविवाहित हैं तो विवाह तय होगा। शिक्षा में शुभ परिणाम प्राप्त होंगे। नौकरी और व्यापार में उत्तम उन्नति के योग बनेंगे। धन संचित करने में सफल होंगे।
  • कर्क राशि: आपकी कुंडली के छठे भाव और नवम भाव के स्वामी गुरु का आपकी राशि से द्वादश भाव में गोचर होगा। इस गोचर के चलते कई कार्यों में धन खर्च होगा। धर्म कर्म के कार्यों में आप बढ़ चढ़कर भाग लेंगे। लंबी यात्रा का योग भी बनेगा। पारिवार में सुख सुविधाओं का विस्तार होगा। ससुराल से भी अच्छी खबरें मिलेंगी। संतान, वैवाहिक जीवन, नौकरी और व्यापार में भी लाभ होगा।
  • सिंह राशि: आपकी कुंडली के पंचम भाव और अष्टम भाव के स्वामी गुरु का गोचर एकादश भाव में होगा। यह लाभ का भाव है जो धन से जुड़ी समस्याओं का समाधान करेगा। अविवाहित जातकों के विवाह के योग बनेंगे। प्रेम संबंधों में प्रगाढ़ता आएगी। संतान सुख मिलेगा। अचानक से धन लाभ होने का योग बनेगा। भाई बहनों से संबंध में सुधार होगा। नौकरी और व्यापार में नए अवसर प्राप्त होंगे।
  • कन्या राशि: आपकी कुंडली के चतुर्थ चतुर्थ भाव और सप्तम भाव के स्वामी हैं बृहस्पति का दशम भाव में गोचर होगा। इसके परिणाम स्वरूप आपको कार्यक्षेत्र में कुछ परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। आपको संयम और विनम्रता से काम लेना होगा। यह समय पारिवारिक जिम्मेदारी निभाने का समय है। धन संचय करने के लिए आपका प्रयास बढ़ेगा। आपकी आर्थिक स्थिति मजबूत होगी।
  • तुला राशि: आपकी कुंडली के तीसरे भाव और छठे भाव के स्वामी गुरु का नवम भाव में गोचर होगा। यह भाग्य और धर्म का भाव है। आप धार्मिक यात्रा पर जाने का प्लान बनाएंगे। कड़ी मेहनत के बाद ही सफलता मिलेगी। भाई बहनों का सहयोग मिलेगा। शिक्षा में भी उत्तम परिणामों की प्राप्ति होगी। संतान की ओर से शुभ समाचार मिलेगा। नौकरी में भी सफलता अर्जित करेंगे। व्यापार में औसत समय रहेगा।
  • वृश्‍चिक राशि: आपकी कुंडली के दूसरे और पंचम भाव के स्वामी गुरु का अष्टम भाव में गोचर होने जा रहा है। इस गोचर के परिणाम स्वरूप आपको कार्यक्षेत्र में सतर्क रहने की सलाह दी जा रही है। बनते हुए काम अटक सकते हैं। धन संबंधी मामलों में भी परेशानी उठानी पड़ सकती है। सेतह में भी गिरावट के चलते आप परेशान रह सकते हैं। आपके खर्चों में बढ़ोतरी होगी। हालांकि लंबी यात्रा के योग बन सकते हैं। अचानक से कभी-कभी धन प्राप्ति हो सकता है। अक्टूबर से स्थिति सामान्य होगी। भाग्य मजबूत होगा और आप सफलता प्राप्त करेंगे।
  • धनु राशि: आपकी कुंडली के चतुर्थ के स्वामी का सप्तम भाव में गोचर होगा। यह गोचर आपके स्वभाव में परिवर्तन लाएगा और दांपत्य जीवन को मजबूत और मधुर बनाएगा। आप यदि कोई व्यवसाय करते हैं तो उसमें भी आपको अच्छी सफलता मिलेगी। भूमि से लाभ अर्जित कर सकते हैं। यात्राओं से लाभ होगा और आपकी आमदनी में बढ़ोतरी होगी। अक्टूबर के बाद सतर्क रहने की जरूरत है।
  • मकर राशि: आपके लिए गुरु का यह परिवर्तन लाभकारी साबित होगा। अचानक से धन प्राप्ति के योग बनेंगे। धन लाभ के नए अवसर प्राप्त होंगे। नौकरी और व्यापार में सकारात्मक बदलाव से लाभ होगा। समाज में खूब मान-सम्मान मिलेगा। करियर में खूब तरक्की करेंगे। भौतिक सुख-सुविधाओं का विस्तार होगा। पारिवारिक जीवन में सुख-शांति बनी रहेगी। जीवन के हर क्षेत्र में सफलता अर्जित करेंगे।
  • कुम्भ राशि: आपकी कुंडली के दूसरे और ग्यारहवें भाव के स्वामी गुरु का पंचम भाव में गोचर होने जा रहा है। यह गोचर अचानक से धनलाभ कराएगा। आपकी आर्थिक स्थि‍ति मजबूत होगी। कार्यक्षेत्र की योजनाओं में सफलता मिलेगी। यदि आप नौकरी में बदलाव चाहते हैं तो यह समय अनुकूल है। पद और वेतन बढ़ जाएगा। उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहे छात्रों को सफलता मिलेगी। संतान से जुड़ी शुभ सूचनाएं प्राप्त होंगी। घर परिवार में खुशी का माहौल रहेगा।
  • मीन राशि: आपकी राशि के लिए गुरु का आप पर आशीर्वाद बना रहेगा। धार्मिक और मांगलिक कार्य अच्‍छे से संपन्न होंगे। आर्थिक मामलों में भाग्यशाली बने रहेंगे। प्रॉपर्टी खरीदने के प्रबल योग है। अविवाहितों का शादी-विवाह तय हो सकता है। वैवाहिक जीवन सुखद रहेगा नौकरी में उन्नति करते जाएंगे और व्यापार में मन मुताबीक लाभ होगा।

गुरु गोचर हिन्दू वैदिक ज्योतिष में एक महत्वपूर्ण गोचर माना जाता है। ज्योतिष शास्त्र की गणना के अनुसार शनि, राहु, केतु और बृहस्पति ऐसे ग्रह हैं जिनकी गोचरीय अवधि अन्य ग्रहों की तुलना में अधिक होती है। इसलिए जब-जब ये ग्रह गोचर करते हैं इसका व्यापक प्रभाव मानव जीवन पर देखने को मिलता है।

 

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